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ये भी सच है..

Anubhav
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हाल ही में उत्तराखंड में सितारगंज विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए। जैसा कि सभी को पहले से अंदाजा था, उसके अनुरूप ही परिणाम निकला और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा चुनाव जीत गए। मुझे चुनाव परिणाम जानकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ, लेकिन ताजुब्ब बधाई देने वालों की तत्परता पर जरूर हुआ। उधर, चुनाव परिणाम घोषित हुए और इधर राजधानी देहरादून की सड़कों पर बधाई संदेश के होर्डिंग लग गए। बधाई संदेश देने वालों में होड़ सी मच गई। एक ही दिन में राजधानी की सड़कों के किनारे लगे सारे होर्डिंग बधाई संदेश से अट गए। नगर निगम पार्षद, विधायक, गली-मोहल्ले के कांग्रेसी नेता आदि ने बधाई संदेश में मुख्यमंत्री की फोटो के साथ ही अपनी फोटो भी छपवा रखी थी। इस काम में राजधानी में ही करोड़ों रुपये फूंक दिए होंगे। उत्तराखंड के अन्य शहरों का भी यही हाल रहा।
वाह रे बधाई संदेश देने वालों। मैं तो आपकी बधाई देने की स्पीड का कायल हो गया। आपने कितना बड़ा रिस्क लिया। चुनाव परिणाम आने से पहले ही पोस्टर, बैनर, होर्डिंग तैयार करवा लिए। यदि परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं आता तो आपने जो खर्च किया, वह पानी में बह जाता।
अब यही सोचता हूं कि ऐसी तत्परता आप जनसमस्याओं के निस्तारण में क्यों नहीं दिखाते। यदि दिखाते होते तो जनता भी आपकी कायल हो जाती। बरसात में पहाड़ों की सड़कें दरक रही हैं। गांवों के रास्ते बंद हो रहे हैं। रास्ते कब खुलेंगे यह भी प्रभावितों को पता नहीं है। दरकती पहाड़ियों के मलबे के बीच जान जोखिम में डालकर लोगों को कई बार गनतव्य तक पहुंचने के लिए चार से पांच किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ रहा है। ऐसा ही हाल राजधानी का भी है। बरसात के पानी की निकासी का समुचित प्रबंध नहीं है। ऐसे में हल्की बारिश से ही सड़कें जलमग्न हो रही हैं। कई मोहल्लों में लोगों के घरो के भीतर पानी घुस रहा है। इस तरफ आपने आंखे बंद कर रखी हैं और बधाई देने के लिए करोड़ों फूंक दिए। आपने ऐसी समस्या के समाधान में बधाई देने की तरह बरसात से पहले ही तैयारी क्यो नहीं की। हर साल की इस समस्या का समाधान आप क्यों नहीं अपनी जेब से कुछ खर्च कर करने का प्रयास करते। यदि बधाई में खर्च की गई राशि से एक सड़क के चार या पांच गड्ढे भी भरवा देते तो शायद आपके मित्र, भाई, बहन या फिर आप को ऐसी सड़कों से गुजरते समय किसी दुर्घटना का अंदेशा नहीं रहता। पोस्टर तो कुछ दिन बाद उतर जाएंगे। इसके विपरीत लेकिन आप यदि पोस्टर की बजाय किसी सामाजिक कार्य में राशि खर्च करते तो यह कार्य जनता के दिल में हमेशा के लिए एक छाप छोड़ देता।
भानु बंगवाल

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