Menu
blogid : 9484 postid : 191

मांगने से मरना भला….

Anubhav
Anubhav
  • 207 Posts
  • 745 Comments

बचपन में एक कविता पढ़ी थी, जिसका भाव यही था कि व्यक्ति के जीवन में सबसे उत्तम काम खेती है। बीच का काम व्यापार है और तीसरी श्रेणी का काम नौकरी है। सबसे घटिया काम जो है, वह भीख मांगना है। तभी से यह पढ़ाया व सिखाया गया कि पहले के तीन काम तो कर लो, लेकिन कभी भीख मत मांगो और सम्मान से जिओ। सिटी बस में बिकने वाले लतीफे व कविताओं के फोल्डर में भी ऐसी ही एक कविता मैने बीड़ी पीने वालों पर पढ़ी। जिसकी कुछ लाइन यह थी कि…
मांगने से मरना भला, यही सच्चा लेखा है,
बीड़ी पीने वालों का अजब यह धंधा देखा है,
कितने ही लखपतियों को बीड़ी माचिस मांगते देखा है।
यानी आज से करीब पैंतीस साल पहले तक मांगने वालों को घृणा की दृष्टि से देखते थे, जो आज भी देखते हैं। ऐसे में मांगने वालों ने मांगने का अंदाज बदल दिया और मांगने वालों की दो श्रेणी हो गई। इनमें एक श्रेणी तो वही है, जो बचपन से मैं देखता आ रहा हूं। यानी लोगों के घर जाकर, मंदिर, गुरुद्वारे, गिरजाघर के बाहर खड़े होकर, सड़क किनारे बैठकर या फिर किसी चौक पर खड़े होकर सड़क चलते लोगो से भीख मांगना। दूसरी श्रेणी के लोग भी वही हैं, जो कभी बीड़ी माचिस मांगते फिरते थे। ऐसे लोग दिखने में तो पैसे वाले कहलाते हैं, लेकिन उनकी मांगने की आदत नहीं गई। वैसे तो कहीं न कहीं मांगने वाले दिख जाएंगे। नेता जनता से वोट मांगता है, जीतने के बाद वह बाद में उसका खून चूसने लगता है। पुलिस अपराधी से रिश्वत मांगती है। घूसखोर बाबू या अफसर आम व्यक्ति से छोटे-छोटे काम की एवज में घूस मांगता है। ईमानदार व लाचार व्यक्ति सच्चाई का साथ मांगता है।
ये मांगने वाले भी कलाकार होते हैं। झूठ को ऐसे बोलते हैं कि हर कोई उनकी बात पर यकीं कर लेता है। मेरे एक परिचित तो जब भी मुझे मिलते, तो उनके स्कूटर में पेट्रोल खत्म हो जाता। फिर वह पेट्रोल मांगते फिरते हैं। बाद में मुझे पता चला कि वह तो पेट्रोल मांगने के लिए स्कूटर की डिग्गी में खाली बोतल व पाइप भी रखते हैं। इसी तरह कई लोगों के पडो़सी ऐसे होते हैं, जो कभी चीनी, चायपत्ती, दूध, प्याज, टमाटर आदि मांगने घर में धमक जाते हैं। इस तरह का मांगना भी एक चलन में है, लेकिन कई तो अब हाईटेक अंदाज में मांगने लगे हैं।
हाल ही मे मेरे एक परिचित को ई मेल आया। ई मेल एक प्रतिष्ठित मेडिकल इंस्टीस्टूयट के ट्रस्टी की ओर से भेजा गया था। इसमें मित्र से कहा गया कि वह विदेश में कहीं फंस गए हैं। ऐसे में वह उनके एकाउंट में पचास हजार रुपये डाल दें। साथ ही एकाउंट नंबर भी दिया गया था। ऐसी मेल देखकर कोई भी व्यक्ति लालच में फंस सकता है। वह सोचेगा कि यदि उसने इस बड़े आदमी की मदद की तो वह वापस लौटने पर काम ही आएगा। साथ ही उसे दी गई राशि भी वसूल हो जाएगी। मित्र बड़े समझदार थे। मेल को पढ़कर उन्होंने सहज ही अंदाजा लगा लिया कि उक्त मेल फर्जी आइडी बनाकर भेजी गई है। सो रकम देने का सवाल ही नहीं उठा। साथ ही ट्रस्टी को उसे मदद की क्या जरूरत है। वह तो कहीं भी अपने चेलों को फोन करके रकम मंगवा सकता है।
दो दिन पहले की बात है। मैं फेस बुक में आनलाइन था। तभी फ्रेंड लिस्ट में शामिल पटना की एक युवती चेट पर आई। हकीकत में वह लड़की है या फिर किसी ने फर्जी आईडी बनाकर लड़की के नाम से एकाउंट खोला है,यह मैं नहीं जानता। दो ही दिन पहले उक्त युवती की ओर से फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी। चेट पर उसने पहले देहरादून के मौसम की जानकारी ली। फिर सीधे मुझसे मदद मांगने लगी। मदद भी यह थी कि मैं उसका नेट रिचार्ज करा दूं। जान ना पहचान और पहली बार संक्षिप्त परिचय में ही मांगने लगी नेट चार्ज के लिए राशि। कहा गया है कि जब व्यक्ति बिलकुल नीचे गिर जाता है, तब वह या तो चोरी करता है और या फिर मांगने के लिए हाथ फैलाने लगता है। ऐसा ज्यादातर उन लोगों के साथ ही होता है, जो या तो नशा करते हैं या फिर जुआ व अन्य ऐब पाले होते हैं। आजकल युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में पड़ती जा रही है। ऐसे में रकम जुटाने के लिए वह कोई न कोई हथकंडे अपना रही है। यदि उक्त लड़की का मैं नेट चार्ज करा देता तो मुझे पता है कि अगली बार वह दूसरी मजबूरी बताकर अपने बैंक एकाउंट का नंबर देती।
भानु बंगवाल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply