Menu
blogid : 9484 postid : 595462

विवाद और चोली दामन

Anubhav
Anubhav
  • 207 Posts
  • 745 Comments

लगता है कि इन नेताओं का विवाद से चोली दामन का साथ है। वो नेता ही क्या जो विवाद से घिरा न रहे। जितना बढ़ा विवाद उतनी ही बढ़ी नेताजी की डिग्री। तभी तो ये नेताजी भी अपना अनुभव लगातार बढ़ाने के लिए विवाद की हर नई पायदान पर पैर रखते हैं। बार-बार वे विवादों के चक्रव्यूह में फंसते हैं। इससे जो निकल गया वही सिकंदर और जो फंस गया, तो समझो उसकी उल्टी गिनती शुरू। इसके बादवजूद ऐसे नेता हैं, जो बार-बार फंसने के बाद भी बच निकल रहे हैं। इसे उनकी किस्मत कहें या धूर्तता, लेकिन वे तो सत्ता के मद में मस्त हैं। उनका पाप का घड़ा भी भरा है, लेकिन घड़ा अनब्रेकबल है, जो फूटता ही नहीं। ऐसे नेता को क्या कहेंगे। एक मित्र को मैने फोन मिलाया और जब उनसे पूछा तो उनका जवाब था कि ऐसे नेता को बहुमुखी प्रतीभा का धनी कहा जा सकता है।
ये सच है कि नेता जितना आसान दिखता है, उतना होता नहीं। उसे तो बचपन से ही बेईमानी की पाठशाला में पाठ पढ़ना पड़ता है। तभी वह नेता बनता है। उत्तराखंड में भी ऐसे नेताओं की कमी नहीं हैं, जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप न लगते रहे हों। जिस पर जितने आरोप लगे, अगली बार वह उतनी ही मजबूती से चुनाव जीतता गया। जिस पर आरोप नहीं रहे, वे स्वच्छ छवि के बावजूद चुनाव हार गए। ऐसे उदाहरण दो मुख्यमंत्रियों के रूप में यहां की जनता देख चुकी है। उनकी ईमानदार छवि को चुनावी खेल में जनता ने भी नकार दिया। क्योंकि जनता को भी तो बहुमुखी प्रतिभा का धनी नेता चाहिए। अकेले ईमानदारी के बल पर कोई क्या किसी का भला करेगा।
एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी नेताजी पर मैने जब शोध किया तो पता चला कि वह तो नेता बनने के लिए लड़कपन से ही विवादों के हेडमास्टर रहे और आगे बढ़ते रहे। छात्रसंघ चुनाव में मतगणना के दौरान अपने ग्रुप की हार देखते हुए उन्होंने मतपत्र में ही स्याही गिरा दी। इससे मतगणना कैसे होती और खराब हुए मतपत्रों को किसके खातें डाला जाता। यहीं से नेताजी आगे बढ़े और उन्होंने पीछे मुड़ने का नाम ही नहीं लिया। जब सरकार में मंत्री बने तो एक कुवांरी युवती के मां बनने को लेकर वह चर्चा में रहे। सीधे नेताजी पर ही युवती ने बच्चे का पिता होने का आरोप जड़ा। फिर नेताजी को मंत्री पद गंवाना पड़ा। कौन सच्चा और कौन झूठा था, इस सच्चाई का सही तरीके से उजागर तो नहीं हुआ,लेकिन नेताजी इस विवाद से भी बच गए। न ही उनकी छवि को इसका कोई नुकसान हुआ। वह दोबारा चुनाव जीते और वह भी भारी मतों से।
सरकार में रहते हुए इनके चर्चे बार-बार उजागर होते रहे। कभी मिट्टी तेल की ब्लैकमैलिंग पर रोक का प्रयास करने वाले अधिकारी से अभद्रता, तो कभी पटवारी भर्ती घोटाला, तो कभी जमीनों का विवादित प्रकरण। ऐसे मामलों को भी नेताजी बड़ी सफाई से हजम कर गए। अक्सर महिलाओं के साथ इनका नाम जुड़ता रहा। इन्होंने तो एक बार ऋषिकेश में वेलेंटाइन डे पर बड़ी सफाई से एक कार्यक्रम आयोजित कर दिया, जिसमें महिलाएं उन्हें फूल भेंट करने को पहुंची। यही नहीं उत्तराखंड में आपदा आई और एक बार नेताजी ने राहत सामग्री ले जा रहे हेलीकाप्टर से सामान उतार दिया और उसमें खुद बैठ गए। साथ ले गए कुछ साथियों के साथ एक महिला को और मौसम खराब होने पर फंसे रहे तीन दिन तक केदारनाथ में। खराब मौसम के चलते तब नेताजी को वहां जान के लाले तक पड़ गए।
नेताजी के चेले भी उनका नाम लेकर आगे बढ़ने की शिक्षा ले रहे थे। ऐसे ही बेचारे एक चेले की हत्या हो गई। हत्या के आरोप में एक महिला को पकड़ा गया। वह भी खुद को नेताजी की चेली बनाने लगी, साथ ही यह भी दावा किया जाने लगा कि चेली को नेताजी के घर से पकड़ा गया। हालांकि पुलिस ने इस मामले में सफाई से पर्दा डाल दिया। वहीं नेताजी ने भी चेली से किसी संबंध से इंकार किया। फिर पता चला कि आपदा प्रभावितों के लिए बाहर से किसी संस्था से भेजी गई राहत सामग्री को नेताजी के होटल से वहां के लोगों को बांटा जा रहा है, जहां आपदा आई ही नहीं। सिर्फ वोट पक्के करने के लिए लोगों को खुश किया जा रहा था। सच ही तो है कि ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी नेताओं को ही जनता भी पसंद करने लगी है। यदि कोई फंस गया तो वह किस बात का नेता कहलाएगा। क्योंकि नेताजी जानते हैं कि नेताओं पर तो आरोप लगते रहते हैं। विपक्षियों का तो यही काम है। जितना विवाद बढ़ेगा वह उतने ही मजबूत होंगे। यही मूलमंत्र शायद उन्होंने नेता बनने की पाठशाला में सीखा है।
भानु बंगवाल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply